नेपाल में राजसंस्था की वापसी: जनआंदोलन और भूराजनीति
राजाके जानेके बाद संसारके एकमात्र हिन्दू राष्ट्र नेपालको धर्म निरपेक्ष किए गए थे
नेपाल में इन दिनों एक बार फिर राजतंत्र की चर्चा गर्म हो गई है। देश के अंतिम राजा, ग्यानेंद्र शाह, को फिर से सिंहासन पर बैठाने की मांग को लेकर नेपाल के विभिन्न हिस्सों में जनआंदोलन शुरू हो गए हैं। नेपाली जनता का एक बड़ा वर्ग मानता है कि देश में अराजकता, भ्रष्टाचार और अस्थिरता का मुख्य कारण संघीय सरकार की विफलता है। उनका मानना है कि राजतंत्र ही नेपाल को पुनः स्थिरता और गौरव दिला सकता है।
जनआंदोलन और राजतंत्र की मांग
नेपाल में 2008 में राजतंत्र का अंत हुआ और देश एक गणतंत्र बन गया। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में संघीय सरकार की नीतियों और प्रशासनिक विफलताओं ने जनता को निराश किया है। भ्रष्टाचार, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के कारण नेपाली जनता का एक बड़ा हिस्सा अब राजतंत्र की वापसी चाहता है।
जनआंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी संघीय सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि राजा ग्यानेंद्र शाह को फिर से सिंहासन पर बैठाया जाए, क्योंकि वही देश को एकता और स्थिरता प्रदान कर सकते हैं। यह आंदोलन नेपाल के विभिन्न हिस्सों में तेजी से फैल रहा है और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
भूराजनीतिक संदर्भ: भारत, चीन, अमेरिका और नेपाल
नेपाल की राजनीति में भूराजनीतिक तत्व हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। नेपाल, भारत और चीन के बीच स्थित है, और यह दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से अहम है।
भारत और नेपाल:
भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं। भारत नेपाल की राजनीति में हमेशा से सक्रिय रहा है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में नेपाल की सरकार ने चीन के साथ संबंध मजबूत किए हैं, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ी हैं। यदि नेपाल में राजतंत्र की वापसी होती है, तो भारत इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकता है, क्योंकि राजतंत्र के दौरान भारत-नेपाल संबंध मजबूत रहे हैं।चीन और नेपाल:
चीन नेपाल में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन ने नेपाल में बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है। राजतंत्र की वापसी से चीन की रणनीति पर असर पड़ सकता है, क्योंकि राजा ग्यानेंद्र शाह को भारत के करीब माना जाता है।अमेरिका और नेपाल:
अमेरिकामे राष्ट्रपतिके पदपर डोनाल्ड ट्रम्पके वापसी से समग्र विश्वके भूराजनीतिमे उथलपुथल आनेसे इसका प्रभाव भी नेपाल पर पड सकता है । अमेरिका फस्टके नारेके आधारमे निर्वाचित ट्रम्प ने अमेरिकाका पैसे युसएआइडीके माध्यम से जितना फण्डींग नेपाल जा रहा वह सब फ्रड बताया । वह फण्ड धर्म परिवर्तन और नेपालके लोगोको विभाजित करने मे खर्च हो रहे थे । अभि वह रुक गया है
निष्कर्ष
नेपाल में राजतंत्र की वापसी की मांग एक जटिल मुद्दा है, जो न केवल देश की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करता है, बल्कि इसका असर पूरे क्षेत्र की भूराजनीति पर भी पड़ सकता है। जनता का आंदोलन और संघीय सरकार की विफलता ने इस मांग को और मजबूत किया है। हालांकि, राजतंत्र की वापसी से नेपाल के अंतरराष्ट्रीय संबंधों, विशेषकर भारत, चीन और अमेरिका के साथ, पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।




About Hindu Sanatan Dharma
सनातन धर्म के प्रमुख स्तंभ
1. वेद और शास्त्र
सनातन धर्म का आधार वेदों में निहित है। वेद चार हैं:
ऋग्वेद – ज्ञान और स्तुतियों का संग्रह
यजुर्वेद – यज्ञ और कर्मकांड
सामवेद – संगीत और भक्ति
अथर्ववेद – औषधि, ज्योतिष और तंत्र
इसके अलावा, उपनिषद, महाभारत, रामायण, भगवद गीता और पुराण भी सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर हैं।
2. देवी-देवता
सनातन धर्म बहुदेववादी होते हुए भी एक परम सत्ता को मानता है, जिसे विभिन्न रूपों में पूजा जाता है:
भगवान ब्रह्मा – सृष्टि के रचयिता
भगवान विष्णु – पालनकर्ता (दशावतार: राम, कृष्ण, नृसिंह, वामन आदि)
भगवान शिव – संहारक एवं योग के प्रतीक
देवी शक्ति (दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती) – सृजन, शक्ति और ज्ञान की अधिष्ठात्री
गणेश और कार्तिकेय – बुद्धि और युद्ध के देवता
3. पूजा-पद्धति और आध्यात्मिक साधनाएं
सनातन धर्म में आध्यात्मिक उन्नति के लिए विभिन्न मार्ग उपलब्ध हैं:
भक्ति योग – भगवान की आराधना एवं प्रेम
ज्ञान योग – आत्मज्ञान और वेदांत
कर्म योग – निष्काम सेवा और कर्तव्य
राजयोग – ध्यान और समाधि
पूजा के रूप में हवन, मंत्र जाप, ध्यान, कीर्तन, व्रत और परिक्रमा प्रचलित हैं।
4. उत्सव और पर्व
हिंदू सनातन धर्म में विभिन्न त्योहार जीवन को आनंद और अध्यात्म से भर देते हैं:
दीपावली – प्रकाश और लक्ष्मी की आराधना
होली – प्रेम और रंगों का पर्व
नवरात्रि – देवी शक्ति की उपासना
राम नवमी और जन्माष्टमी – राम और कृष्ण जन्मोत्सव
महाशिवरात्रि – शिव की भक्ति और ध्यान
5. सनातन धर्म और विज्ञान
सनातन धर्म केवल आस्था पर आधारित नहीं, बल्कि वैज्ञानिकता और तर्कबुद्धि को भी मान्यता देता है।
योग और प्राणायाम – शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का आधार
वास्तु शास्त्र – संतुलित जीवन शैली
ज्योतिष शास्त्र – ग्रहों और मानव जीवन का संबंध
निष्कर्ष
सनातन धर्म केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की कला है। यह संपूर्ण सृष्टि को एक परिवार मानता है – "वसुधैव कुटुंबकम्"। इसकी शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी हजारों वर्ष पहले थीं।
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